Social Sciences, asked by krshmtpp, 2 months ago

दिए गर पहश की सपरांगप्याव्य
विचिए
गोधन, गजधन बजिधन और
रतन सब रवान
जब वे संतोष चनसब धन धु​

Answers

Answered by sakahilahane23
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गो-धन, गज-धन, वाजि-धन और रतन-धन खान। जब आवत संतोष-धन, सब धन धूरि समान ॥६॥

तुलसीदास जी कहते हैं कि मनुष्य के पास भले ही गौ रूपी धन हो, गज (हाथी) रूपी धन हो, वाजि (घोड़ा) रूपी धन हो और रत्न रूपी धन का भंडार हो, वह कभी संतुष्ट नहीं हो सकता। जब उसके पास सन्तोष रूपी धन आ जाता है, तो बाकी सभी धन उसके लिए धूल या मिट्टी के बराबर है। अर्थात् सन्तोष ही सबसे बड़ी सम्पत्ति है।Read more on Sarthaks.com - https://www.sarthaks.com/611082/

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