दिए जल उठे पाठ का सार लिखिए ।
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दिए जल उठे’ (Diye Jal Uthe) पाठ के लेखक ‘मधुकर उपाध्याय’ (Madhukar Upadhyay) जी है। यह कहानी आजादी के प्रयत्नशील भारत के महत्वपूर्ण घटना पर आधारित है। एक बार सरदार बल्लभ भाई पटेल दांडी कूच की तैयारी के सिलसिले में 7 मार्च को रास पहुचे थे। तभी वहाँ पर उपस्थित बूढ़ा बरगद का पेड़ उस दृश्य का साक्षी बना। पटेल जी भाषण की तैयारी करके नहीं आये थे, परन्तु लोगों के आग्रह पर उन्होंने दो शब्द बोला। जैसे ही पटेल जी ने कहा- भाइयों और बहनों, क्या आप सत्याग्रह के लिए तैयार है? उसी बीच वहाँ पर मजिस्ट्रेट आकर मनाही का आदेश दे दिए और पटेल जी को गिरफ्तार कर लिया गया। पटेल जी की ये गिरफ़्तारी रास के कलेक्टर शिलिडी के कहने पर की गयी थी जिन्हें पटेल जी ने पिछले आंदोलन में अहमदाबाद से भगा दिया था।
पटेल जी को गिरफ्तार करके बोरसद की अदालत में लाया गया। अदालत में उन्होंने अपना अपराध स्वीकार कर लिया, जिसके लिए उन्हें 500 का जुर्माना और 3 महीने की सजा हुई। अहमदाबाद से पटेल जी को साबरमती जेल लाया गया। पटेल जी को गिरफ्तार करके जेल ले जाने की सजा जब साबरमती आश्रम में गाँधी जी को मिली तब वह अशांत रहे। साबरमती आश्रम से होकर बोरसद से जेल का रास्ता जाता है। सभी आश्रमवासी पटेल जी की गाड़ी गुजरने का इंतजार कर रहे थे। पटेल जी जिस मोटर गाड़ी में गिरफ्तार होकर जा रहे थे वह गाड़ी वहाँ रुकती है और पटेल जी सबसे मिलते है। उस छोटे से मुलाकात के बाद पटेल जी जब अपने गाड़ी में बैठते हुए सबसे कहते है कि “मैं चलता हूँ। अब आपकी बारी है।“ पटेल जी की इस गिरफ़्तारी से देशभर में बहुत सारी प्रतिक्रियाएँ हुई। सभी ने पटेल जी के जेल जाने की निंदा की।
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