दिए का अभिमान कैसे नष्ट हो गया इसका आंसर
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एक बार महाराज युधिष्ठिर ने राजसूर्य यज्ञ किया तो उनके मन में यह विचार उठा कि जिस प्रकार दिल खोलकर प्रसन्नता से मैंने दान-पुण्य करते हुए यज्ञ किया है, ऐसा अन्य किसी ने नहीं किया होगा। युधिष्ठिर का अभिमान देखकर भगवान श्री कृष्ण ने विचार किया कि इस प्रकार के अभिमान से तो किया गया पुण्य नष्ट हो जाता है।
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