दिग्- दिगंत का अर्थ है
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दिगंत संस्कृत [संज्ञा पुल्लिंग] 1. सब दिशाएँ 2. दिशा का अंत ; छोर ; क्षितिज।
दिगंत पु 2 - संज्ञा पुलिंग [संस्कृत दृग् + अन्त] आँख का कोना । उदाहरण - राचे पितंबर ज्यों चहुंघाँ, कछू तैसिये लाली दिगंतन छाई । - द्विजदेव (शब्द०) ।
दिगंत 1 - संज्ञा पुलिंग [संस्कृत दिगन्त] 1. दिशा की छोर । दिशा की अंत । 2. आकाश की छोर । क्षितिज । 3. चारो दिशाएँ । 4. दसों दिशाएँ । यौगिक शब्द - दिगंतगामिनी = दिशाओं के छोर तक पहुँचनेवाली उत्कट प्रतीक्षा दिगंतगामिनी अभिलाषा....समुद्र गर्जन में संगीत की, सृष्टि करने लगी । - आकाश०, देखें पृष्ठ संख्या 1०1 । दिगंत - फलक = क्षितिज रूपी फलक या पृष्ठभूमि । उदाहरण - हो गया सांध्य नभ का रक्ताभ दिगंत फल
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