दो घड़ी नाटक ना टिकना मुहावरा वाक्य प्रयोग
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सामान्य अर्थ का बोध न कराकर विशेष अथवा विलक्षण अर्थ का बोध कराने वाले पदबन्ध को मुहावरा कहते हैँ। इन्हेँ वाग्धारा भी कहते हैँ।
मुहावरा एक ऐसा वाक्यांश है, जो रचना मेँ अपना विशेष अर्थ प्रकट करता है। रचना मेँ भावगत सौन्दर्य की दृष्टि से मुहावरोँ का विशेष महत्त्व है। इनके प्रयोग से भाषा सरस, रोचक एवं प्रभावपूर्ण बन जाती है। इनके मूल रूप मेँ कभी परिवर्तन नहीँ होता अर्थात् इनमेँ से किसी भी शब्द का पर्यायवाची शब्द प्रयुक्त नहीँ किया जा सकता। हाँ, क्रिया पद मेँ काल, पुरुष, वचन आदि के अनुसार परिवर्तन अवश्य होता है। मुहावरा अपूर्ण वाक्य होता है। वाक्य प्रयोग करते समय यह वाक्य का अभिन्न अंग बन जाता है। मुहावरे के प्रयोग से वाक्य मेँ व्यंग्यार्थ उत्पन्न होता है। अतः मुहावरे का शाब्दिक अर्थ न लेकर उसका भावार्थ ग्रहण
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do ghadi Na thikana ka muhavra shabd