दोहा छंद की परिभाषा उदाहरण सहित लिखिए
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दोहा एक मात्रिक छंद है अर्थात यह शब्दों की मात्राओं के अनुसार निर्धारित होता है। इसके कुल मिलाकर 4 चरण होते हैं।
दोहा के 2 पद होते हैं और हर एक पद में 2 चरण होते हैं। दोहा के पहले चरण को विषम चरण तथा दूसरे चरण को सम चरण कहा जाता है। चूँकि दोहा एक मात्रिक छंद है, इसलिए इसके विषम चरण में कुल 13 मात्राएं होती हैं तथा सम चरण में कुल 11 मात्रा होती हैं अर्थात दोहा की संरचना में 13-11 की यति होती है। यति का अर्थ है विश्राम।
यह आवश्यक नहीं कि दोहा छंद मात्रा के हिसाब से 13:11 कि यति पर ही निर्भर हो। यह शब्द संयोजन के लिए विशिष्ट विन्यास पर भी निर्भर हो सकता है।
उदाहरण...
पवन तनय संकट हरन मंगल मूर्ति रूप।
राम लखन सीता सहित हृदय बसहूं सुर भूप ।।
व्याख्या :
छंद से तात्पर्य एक ध्वनि समष्टि या ध्वनियों के संयोजन से है। जब किसी पद्य में जब छोटी बड़ी ध्वनियां एक साथ एक व्यवस्था के रूप में सामंजस्य स्थापित करती हैं, तब उसे एक छंद कहा जाता है।