दोहे रहीम का चित्रीकरण
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आज के कलयुग में भी ऐसे लोगों की कोई कमी नहीं है जो महान कबीर और तुलसीदास के दोहों को पढ़ना पसंद करते हैं. मैंने भी जितनी बार कबीर और रहीम के दोहे लिखे वह हमेशा अधिक पढ़े गए इसीलिए इस बार मैंने फिर आप लोगों के लिए इंटरनेट से कुछ रहीम के दोहे अर्थ सहित ढूंढे हैं.
रहिमन अति न कीजिए, गहि रहिए निज कानि सैंजन अति फूलै तऊ, डार पात की हानि कविवर रहीम कहते हैं कि कभी भी किसी कार्य और व्यवहार में अति न कीजिये। अपनी मर्यादा और सीमा में रहें। इधर उधर कूदने फांदने से कुछ नहीं मिलता बल्कि हानि की आशंका बलवती हो उठती है.
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