देह =शरीर।
वक नाम।
(ग)
क्षमा शोभती उस भुजंग को, जिसके पास गरल हो' पंक्ति का भाव स्पष्ट कीजिए।
(घ)
'सच पूछो तो, शर में ही बसती है दीप्ति विनय की' पंक्ति के
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ग) विषरहित, विनीत, सरल हो। जो सर्प दांत से रहित हो,विष से रहित हो, और सरल हो अर्थात पालतू हो, अगर वह किसी व्यक्ति को माफ कर दे अथवा किसी को ना काटे तो इसमें कोई बड़ी बात नहीं है,क्योंकि उसके दांत ही नहीं है उसके पास ज़हर ही नहीं है।
(घ) सच कहूं तो विनम्रता की चमक (दीप्ति) बाण (शर) में ही बसती (रहती) है। राजनैतिक मित्रता (संधि) की बातें केवल उसकी ही मानने योग्य (सम्पूज्य) हैं जिसमें जीतने की ताकत (शक्ति) होती है।
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