दोहा दशक पर प्रकाश डालिए
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दोहा दशक पर प्रकाश डालिए
दोहा दशक कविता कवि बिहारीलाल द्वारा लिखी गई है | कवि बिहारी जी कहते है , कृष्ण जी को अपनी संपत्ति मानते है , जो उनके हर मुश्किल खड़ी में काम आती है | ऐसी संपत्ति का भी क्या लाभ जो किसी भी विपत्ति में काम न आए | संसार में लोग मोह-माया और धन के पीछे भागते है | यह मोह माया अंत समय में कभी भी काम नहीं आती है |
कवि समझाना चाहते है कि भक्ति ऐसी होनी चाहिए , जिसके पीछे स्वार्थ न हो | ऐसी भक्ति किसी काम की नहीं होती है जिस में लोग दिखावा करते है | तरह-तरह के दिखावे करते है | माथे में तिलक लगाते है |
सच्चे मन से की गई भक्ति से हमेशा ईश्वर के दर्शन प्राप्त होते है | भक्ति में निस्वार्थ की भावना होनी चाहिए , चंचल मन को त्यागकर सच्ची मन से भक्ति करनी चाहिए | जो सच्चे मन से भक्ति करता है भगवान भी उसका साथ देता है।