दोहा:
* यह सुनि मन गुनि सपथ बड़ि बिहसि उठी मतिमंद।
भूषन सजति बिलोकिमृगु मनहुँ किरातिनि फंद।।26॥
भावार्थ:-यह सुनकर और मन में रामजी की बड़ी सौगंध को विचारकर मंदबुद्धि कैकेयी हँसती हुई उठी
और गहने पहनने लगी, मानो कोई भीलनी मग को देखकर फंदा तैयार कर रही हो!॥26॥ Kavya Saundarya tatha Bhav Saundarya likhiye
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Kya questions hai bhaiya ji ki jay in a molecule of cyclohexane I am just wondering what phal ho gaya mi
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