देहरी द्ववारा:जीभ::मनी दीप:___
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राम-नाम-मनि-दीप धरु, जीह देहरी द्वार।
‘तुलसी’ भीतर बाहिरौ, जौ चाहसि उजियार॥
Explanation:
तुलसीदास जी कहते हैं कि यदि तुम अपने हृदय के अंदर और बाहर दोनों ओर प्रकाश चाहते हो तो राम-नाम रूपी मणि के दीपक को जीभ रूपी देहली के द्वार पर धर लो। दरवाज़े की देहली पर यदि दीपक रख दिया जाए तो उससे घर के बाहर और अंदर दोनों ओर प्रकाश हो जाया करता है। इसी प्रकार जीभ मानो शरीर के अंदर और बाहर दोनों ओर की देहली है। इस जीभ रूपी देहली पर यदि राम-नाम रूपी मणि का दीपक रख दिया जाय तो हृदय के बाहर और अंदर दोनों ओर अवश्य प्रकाश हो ही जाएगा।
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