ठाकुर हनुमंत राय सिंह का चरित्र चित्रण कीजिए
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➡ ️ठाकुर हनुमंतराय सिंह, जातीय सेवा के अभिलाषी तो थे, परंतु उनके वचन और कर्म में बड़ा अंतर था। उनकी जातीय सेवा व्याख्यान झाड़ने, लेख लिखने और प्रस्ताव पास कर देने तक ही सीमित थी। इससे परे जाना वे अनावश्यक ही न समझते, बल्कि स्वार्थ सिद्ध होता, तो अपने बच्चे के विरूद्ध भी कार्य करने से न झिझकते थे।
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ठाकुर हनुमंत राय सिंह के वचन और कर्म में बड़ा अंतर था । वे अभिमानी थे , वे चुनाव धन के बल पर जीतना चाहते थे लेकिन पाठ के अंत में वे अपनी गलती को स्वीकार करते हैं और उन्हें पछतावा भी होता है ।
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