दुख बाँचना'' से कवि का क्या तात्पर्य है
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उसे जीवन मे मिलने वाले दुखो की समझ नही है।
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दुख बाँचना का क्या तात्पर्य है - जीवन में आने वाले सभी दुःखों की अच्छी समझ होना ।
- इस कथन से कवि का तात्पर्य है कि लड़की बहुत सीधी-सादी और भोली भाली है । जीवन के सुख-दुख की उसको बहुत कम समझ है । अभी तक घर में उसको इसमें पूर्ण व्यवहार मिला है।
- लेखक कहते हैं कि उसे सुख का आभास तो होता है लेकिन दुख बाँचना का नहीं आता था। कन्यादान कविता के आधार पर भावार्थ स्पष्ट किया गया है जीवन के प्रति लड़की की समय सीमित थी। वह उसके जीवन के सिर्फ सुखद पक्ष से ही परिचित ही दुखद पक्ष से नहीं।
- कन्यादान का सही अर्थ है कन्या का आदान, ना कि कन्या का दान शादी के दौरान कन्या का आदान करते हुए पिता कहते हैं कि मैंने अभी तक अपनी बेटी का पालन पोषण किया जिसकी जिम्मेदारी में आज से आप को सोपता हूं इसके बाद वर कन्या की जिम्मेदारी अच्छी तरह से निभाने का वचन देता है इस रस्म को कन्या का आदान कहा जाता है।
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