'दुख-भूख भरी दुनिया में सौन्दर्य दर्शन व्यर्थ है', यह कहते हुए लेखक
फागुन को क्यों धन्यवाद देता है- समझाइए।
Answers
¿ 'दुख-भूख भरी दुनिया में सौन्दर्य दर्शन व्यर्थ है', यह कहते हुए लेखक फागुन को क्यों धन्यवाद देता है- समझाइए।
✎... ‘दुख भरी दुनिया में सौंदर्य दर्शन व्यर्थ है’ इस बात से लेकर का तात्पर्य यह है कि यदि मनुष्य दुखी है। उसके पेट में अन्न का दाना नहीं है, तो उसे अन्य कोई भी चीज अच्छी नहीं लगती। उस समय उसका ध्यान अपने दुखों के निवारण और अपनी भूख को मिटाने में लगा रहता है।
उपरोक्त कथन कहते हुए लेखन फागुन को धन्यवाद इसलिए दिया है, क्योंकि फागुन मास में सब लोग अपना दुख दर्द भूल जाते हैं अर्थात फागुन मास लोगों के दुख दर्द को कुछ समय के लिए कम कर देता है और वे लोग अपने दुख और भूख को भूलकर फागुन की मस्ती में मगन हो जाते हैं। इसी कारण लेकर फागुन को धन्यवाद देता है कि भले ही कुछ समय के लिये ही सही फागुन मास ने लोगों के दुख-दर्द कुछ कम तो किये।
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○
संबंधित कुछ और प्रश्न—▼
लेखक ने फाल्गुनी परिवर्तन को क्रांति क्यों कहा है..?
https://brainly.in/question/43024576
○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○○
Answer:
डौफथफंओअंओउऑउऑउऑउऑउऑउऑनुनुटूटूठफंफदससलसदसरसरस