' दुख जीवन को निखरता है ' इस विषय पर एक लघुकथा लिखिए।लघुकथा
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नदी का दुख की लघुकथा :
1 . मेरे बारे मे हर कोई जानता है मै एक नदी हौ मेरे कही सारे नाम है ।शैलजा , दरिया , तनुजा , सरिता और जयमाला है । मुजे शांत और निर्मल कहते है मे हिमालय की गोद से निकलती हु । जब मुझे पौराणीक समय सभी लोग कहते है की स्राप की वजह से नष्ट हो गये भागिरथ थे उसमनकी मुक्ती के लीये गंगाजल आवश्यक था । ब्रह्मा जि के कमंड से मुझे धरती पे भगिरथ जि ने तपस्या करके शिवजी ने तेज प्रवाह से मुझे केशो मे रखा था । भागिरथी नाम पडा ।
गंगा जब बनती है भागिरथि और अलकनंदा का संगम होने पर । और गंगा के पानी मे कभी बैक्टीरिया नही है होता ओक्सीजन ज्यादा है मच्छर नही बैठ सकते है जल दुषीत नही है तभी तो गंगा की पूजा करते है ।
सदानीरा मे गंगा , यमुना , कावेरी जो हमेशा रहती है कही सारी बारसात से बहती है ।बरसाती मे जलधारा का सोत्र झील , झरना और बारीश है .
Mark me as brainliest answer .
Thank you .
Be happy be health .
Stay home stay safe .