दुखों के आधार पर लघु कथा
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सुखिया के बिहाव ह जेन दिन लगिस उही दिन ले सुखिया के आंखी मं बिहाव के नेंग-जोंग ह आंखी-आंखी मं झूलत रहिस,कइसे मोर तेल चढ़ही, कइसे माइलोगिन मन सुघ्घर बिहाव गीत गाही, कइसे भांवर परही, कइसे मोर मांग ल मोर सइया ह भरही, तहान जिनगी भर ओकर हो जाहूं अउ ओकरे पाछू ल धर के ससुराल मं पांव ल रखहूं, सास-ससुर, जेठ-जेठानी, देवर- नंनद ह मोर सुवागत करही अउ नान-नान लइका मन ह भउजी, काकी, बड़े दाई, मामी कहिके मोला पुकारही अउ कइसे मोर मयारू ह मोला मया के बंधना मं बांधही।
बिहाव के दिन सुखिया के गांव मं बरात अइस, बरतिया ल परघा के जेवनास घर मं लेगिस।बरतिया परघइया मन ह सुखिया ल कहिस,दुलहा ह अड़बड़ सुघ्घर दिखत हे, तुहर जोड़ी ह श्रीराम अउ सीता कस फबे हे, सुखिया ह सुन के लजाय बर धरलिस। टिकावन-भांवर परे के बाद बिदा के बेरा सुखिया ह बहुतेच रोइस, दाई-ददा ह अपन छाती मं पथरा ल रखके नोनी के बिदा ल करिस। दुलहा-दुलहीन के संग मं सुवासा-सुवासिन मन घलो चारगोड़िया मं बइठिन अउ ससुराल डहार के रस्ता मं गाड़ी ह चले बर धरलिस। गाड़ी चलइया ह दारू ल बिक्कट अकन पिये रहिस, लड़बड़-लड़बड़ गाड़ी चलात रहिस अउ बीच रस्ता मं कार ह टरक मं झपागे अउ तुरते दुलहा ह सरग सिधारगे, दुलहीन ह दूरिहा मं फेंकागे अउ सुवासा-सुवासिन तको अनचेतहा होगे, डराइभर के घलो मुड़ी कुचरागे, फेर ओ हर जियत रहिस।
दुलहा के ठाठ ल लेके घर पहुंचिन तहान रोवा-राही परगे, दुलहा के दाई ह चिरइ कस पढ़-पढ़के रोवत रहिस, दोखही करन तोर बिहाव कर परेंव बाबू, तोर परान चल दिस मोर दुलरवा, मय का जानंव मोर ददा, बहुरिया दोखही निकलही कहिके, मोला छिमा करबे मोर मयारू, मय का-का सपना देखे रहेंव मोर सुरूज, मोर नाती ल मोर कोरा मं खेलाहूं काहत रहेंव ददा, ये दोखही ह मोर बाबू ल खा डरिस दाई,मोर हीरा कस बेटा, मय कंगालिन होंगेव मोर राजा। सबो मनखे ह दुलहीन ल कलजगरी कहे बर धरलिस।
दुलहीन बिचारी ह घलो रोवत रहिस फेर कुछु कहिके नइ रोवत रहिस,कभू अपन बांह भर चूड़ी ल देख के,कभू हाथ के मेंहदी ल देख के त कभू पांव के मांहूर ल देख के रोवत रहिस काबर कि अभी तो ओकर संइया ह ढंग से ओकर सिंगार ल नइ देखे रहिस अउ जिनगी भर बर ये सोहाग के चिनहा ल ओकर ले दूरिहा कर दिस, आंखी ले आंसू ह नदिया कस बोहावत रहिस, फेर कोनो ओला खंधा देवइया नइ रहिस, जेकर खंधा मं अपन मुड़ी ल रखके रो सकतिच।
मोर मन ह गुनत रहिस कि दोस तो गाड़ी चलइया के रहिस, जेन ह दारू के नसा मं गाड़ी ल टरक मं टकरा दिस, फेर दुलहीन ल काबर गुनहगारिन समझत रहिस, का दोखही के दुख ह ककरो आंखी मं नइ दिखत रहिस???