दुख का अधिकार कहानी में लेखक ने जिंदा आदमी नंगा भी रह सकता है कहकर समाज पर क्या व्यंग किया है?
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लेखक इस पंक्ति से यह कहना चाहते हैं कि जिंदा आदमी तो अपने लिए कुछ कर सकता है वह मजदूरी करके रह सकता है लेकिन मुर्दे को कपड़े पहना कर भेजना हमारी जिम्मेदारी है अथवा वह यह सब करने में सक्षम नहीं है इसलिए कवि ने मुर्दे को कपड़े पहनाने की बात कही है
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