दुख का अधिकार ’कहानी में समाज के किन अंधविश्वासों और कुरीतियों को दर्शाया गया है ? स्पष्ट करें।
Answers
दुख का अधिकार’ कहानी में अमीर-गरीबी में भेदभाव जैसी कुरीतियों और झाड़फूंक जैसे अंधविश्वासों को दर्शाया गया है। इस कहानी में उन लोगों की संवेदनहीनता पर भी प्रहार किया गया है, जिनकी संवेदनायें अमीर के लिये अलग और गरीब के लिये अलग होती हैं।
कहानी की मुख्य पात्र एक वृद्ध स्त्री है जिसके 22-23 बरस के जवान बेटे को सांप ने डस लिया। हमारे समाज ग्रामीण क्षेत्रों में आज के समय में भी झाड़-फूंक जैसे अंधविश्वास व्याप्त हैं, जिसके कारण वो वृद्ध स्त्री सांप द्वारा उसके बेटे को डस लेने के कारण डॉक्टर के पास न जाकर झाड़-फूंक करने वाले ओझा को बुला लाती है। पूजा-पाठ करने लगती है। जबकि उसके लड़के को उस समय डॉक्टर के इलाज की जरूरत थी। झाड़-फूंक वाला ओझा कुछ नही कर पाता और उसके बेटे की मृत्यु हो जाती है।
बेटे की मृत्यु के बाद घर में खाने के कुछ भी न होने के कारण और पोते-पोतियों के भूख से बिलखने के कारण वह मजबूरी में बाजार में तरबूज बेचने के लिये जाती है ताकि कुछ पैसे कमा सके और बच्चों की भूख शांत कर सके।
पर यहां भी समाज के लोग अपनी संवेदनहीनता का परिचय देते हैं और ताने देते हैं कि कैसी लालची बुढ़िया है, बेटे के मरे अभी एक दिन भी नही बीता और ये अपना धंधा सजाकर बैठ गयी।
उन लोगों को उस वृद्धा की उस मजबूरी से कोई लेना-देना नही जिसके कारण वो ऐसे दुखद हालातों में भी तरबूज बेचने के लिये आई।
लेखक को ये देखकर अपने पड़ोस में हुई एक अमीर सांभ्रान्त परिवार के जवान व्यक्ति की मृत्यु की याद आ जाती है कि कैसे उस व्यक्ति की माँ के पुत्र-शोक में पूरा शहर ही शोकाकुल हो गया था क्योंकि वो अमीर परिवार से थी और वह वृद्धा गरीब है इसलिये समाज के संवेदनहीन लोगों को उसका दुख संवेदना व्यक्त करने के लायक नही लगता।
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‘दुख का अधिकार’ पाठ से संबंधित कुछ अन्य प्रश्न—▼
दुख का अधिकार कहानी का मूल भाव
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दुख का अधिकार पाठ से दस अनुस्वार और दस अनुनासिक शब्द।
https://brainly.in/question/19238628
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Answer:
'दख ु का अधि कार' कहानी अधं वि श्वास पर आधारि त एक हृदयस्पर्शी
कहानी है इसी प्रकार अधं वि श्वास से सबं धिं धित कोई कहानी पढ़ि ए एवं
उसका सचि त्र प्रस्ततु ीकरण कीजि ए l
Explanation:
गरीबी में भेदभाव जैसी कुरीतियों और झाड़फूंक जैसे अंधविश्वासों को दर्शाया गया है। इस कहानी में उन लोगों की संवेदनहीनता पर भी प्रहार किया गया है, जिनकी संवेदनायें अमीर के लिये अलग और गरीब के लिये अलग होती हैं।
कहानी की मुख्य पात्र एक वृद्ध स्त्री है जिसके 22-23 बरस के जवान बेटे को सांप ने डस लिया। हमारे समाज ग्रामीण क्षेत्रों में आज के समय में भी झाड़-फूंक जैसे अंधविश्वास व्याप्त हैं, जिसके कारण वो वृद्ध स्त्री सांप द्वारा उसके बेटे को डस लेने के कारण डॉक्टर के पास न जाकर झाड़-फूंक करने वाले ओझा को बुला लाती है। पूजा-पाठ करने लगती है। जबकि उसके लड़के को उस समय डॉक्टर के इलाज की जरूरत थी। झाड़-फूंक वाला ओझा कुछ नही कर पाता और उसके बेटे की मृत्यु हो जाती है।
बेटे की मृत्यु के बाद घर में खाने के कुछ भी न होने के कारण और पोते-पोतियों के भूख से बिलखने के कारण वह मजबूरी में बाजार में तरबूज बेचने के लिये जाती है ताकि कुछ पैसे कमा सके और बच्चों की भूख शांत कर सके।
पर यहां भी समाज के लोग अपनी संवेदनहीनता का परिचय देते हैं और ताने देते हैं कि कैसी लालची बुढ़िया है, बेटे के मरे अभी एक दिन भी नही बीता और ये अपना धंधा सजाकर बैठ गयी।
उन लोगों को उस वृद्धा की उस मजबूरी से कोई लेना-देना नही जिसके कारण वो ऐसे दुखद हालातों में भी तरबूज बेचने के लिये आई।
लेखक को ये देखकर अपने पड़ोस में हुई एक अमीर सांभ्रान्त परिवार के जवान व्यक्ति की मृत्यु की याद आ जाती है कि कैसे उस व्यक्ति की माँ के पुत्र-शोक में पूरा शहर ही शोकाकुल हो गया था क्योंकि वो अमीर परिवार से थी और वह वृद्धा गरीब है इसलिये समाज के संवेदनहीन लोगों को उसका दुख संवेदना व्यक्त करने के लायक नही लगता।