दुःख का अधिकार' पाठ के आधार पर लेखक और बुढ़िया में अपनी कल्पना से संवाद लिखिए |
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लेखक- क्या हुआ मां जी? आप यहां सड़क पर ऐसे फफक- फफककर क्यों रो रही हैं?
बुढ़िया- क्या करूं बेटा? घर में दो छोटे-छोटे बच्चे और मेरी बीमार बहू है। खाने के लिए कुछ भी नहीं है।
लेखक- आपका कोई बेटा नहीं है?
बुढ़िया- बेटा चला गया परलोक। घर में जो चूनी-भूसी थी तो उसे विदा करने में चली गई।
लेखक- मां जी आप रोइए मत। एक काम करिए यह सारे खरबूजे आप मुझे दे दीजिए। यह लीजिए पैसे।
बुढ़िया- भगवान तुम्हारा भला करे बेटा!
लेखक- आईए मां जी मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूं।
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लेखक- क्या हुआ माँ जी? आप यहां सड़क के बगल में ऐसे फफक-फफककर रो क्यों रहीं हैं?
बुढ़िया- क्या करूँ बेटा? घर में दो छोटे-छोटे बच्चे और मेरी बीमार बहू है। खाने के नाम पर तो एक दाना भी नहीं है।
लेखक- क्यों?आपके घर में कोई कमाने वाला नहीं है?
बुढ़िया- क्या बताऊँ, मेरा बेटा हम सब को अकेला छोड़ कर स्वर्ग सिधार गया। घर का सारा अनाज-पानी दान-दक्षिणा में चला गया।
लेखक- आपके बेटे को हुआ क्या?
बुढ़िया- मेरा बेटा जब कछियारी कर रहा था, तब एक विषैले सर्प ने उसे डस लिया।
लेखक- आपने किसी डॉक्टर को नहीं बुलाया?
बुढ़िया- बुलाया था न! डॉक्टर को नहीं, परन्तु एक ओझा को बुलाया था।
लेखक- ये क्या किया आपने! आप उस ढोंगी झाड़-फूँक करने वाले के वश में आ गए! आपने अगर किसी डॉक्टर को बुलाया होता, तो अभी आपका बेटा जीवित होता!
बुढ़िया- क्या करू बेटा। हमारे ज़माने में तोह ओझा को ही बुलाया जाता था। तब कहाँ थे तुम्हारे डॉक्टर।
बुढ़िया(रोते हुए)- यह सब मेरी ही गलती है ! ना मई उसको खेती करने भेजती, और ना ही उसकी मृत्यु होती।
लेखक(सांत्वना देते हुए)- माँ जी आप रोइए मत। अब जो हुआ सो हुआ।एक काम करिए, यह सारे खरबूजे आप मुझे दे दीजिए।
लेखक- यह लीजिये आपके पैसे।
बुढ़िया- भगवान तुम्हारा भला करे बेटा!
लेखक- आईए मां जी मैं आपको आपके घर छोड़ देता हूँ। और हाँ, मई आपके बहु के उपचार के लिए एक डॉक्टर भी भेज दूंगा।
बुढ़िया- जग जग जियो बेटा!