दुख का अधिकार ' पाठ को एकाां
की (नाटक) रूप में लिखिए ।
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यह एक पाठ है जिसमें कवि हमें यह बताना चाहते हैं कि दुख का अधिकार सबको होना चाहिए चाहे वह अमीर हो या गरीब हो दुख मनाने का अधिकार सबको बराबर रूप से मिलना चाहिए| लेकिन कुछ वर्गों के लोग जो गरीब होते हैं उन्हें तो दुख मनाने का भी समय नहीं मिल पाता| इसी, पाठ मैं हम एक ऐसे ही कहानी के बारे में जानेंगे|इसमें एक भगवाना नाम का व्यक्ति रहता है जिसका अपना खरबूजे का खेत होता है उसमें काम करता है एक दिन वह सुबह-सुबह अपने खेत में खरबूजे तोड़ने गया तो उसे सांप ने डस लिया उसकी मां ने उसका खूब इलाज करवाया झाड़-फूंक करवाया झाड़-फूंक करवाने में उस बुढ़िया के घर के सारे पैसे चले गए|मगर फिर भी उसका बेटा बच नहीं पाया| घर में बहू को तेज बुखार था और बच्चे भूख से तड़प रहे थे इसलिए बुरिया को खरबूजे बेचने के लिए बाहर निकलना पड़ा लोग उसके बारे में अनाप-शनाप बातें कर रहे थे|की बुढ़िया को अभी तो सूतक लगा है फिर भी वह बाहर खरबूजे बेचने के लिए निकल रही है लोग उसे कुछ से कुछ कह रहे थे| मुझे उस बुढ़िया के बारे में पता चला तो मुझे उस पर दया आ गया क्योंकि मैं यह सोच रहा था कि गरीब को तो दुख मनाने का समय भी नहीं मिलता वह बुढ़िया रोड के किनारे बैठकर फूट-फूट कर रोने लगी थी तो मुझसे उस पर बहुत दया आ गई |वही एक अमीर घर में एक औरत का बेटा मर गया तो 1 महीने तक पलंग पर लेटी रही और उसे 1 महीने तक डॉक्टर देखने आता है करते थे|उसे तू अपना दुख मनाने का पूरा एक महीना मिला इसलिए कवि चाहते हैं कि चाहे अमीर हो या गरीब दोनों को दुख बनाने का बराबर अधिकार मिलना चाहिए|