दुख के बिना सुख का अस्तित्व नहीं है और सुख के बिना दुख का। जब तक हमें एक अनुभव नहीं होगा तब
तक हम दूसरे का अनुभव नहीं कर सकते । शीतलता का अनुभव करने के लिए उष्णता का अनुभव आवश्यक है। यह
भी एक बात है कि कोई संपूर्ण शीतलता ही नहीं ले सकता और न कोई उष्णता। अतः आवश्यकता है कि दोनों का
समन्वय हो। न तो संपूर्ण दुःख हो और न संपूर्ण सुख। यह दोनों मानव जीवन के ताने बाने हैं। एक दूसरे के पूरक है।
जीवन में सुख दुख दोनों का मिश्रण होना चाहिए। यह मिश्रण मधुर हो। ऐसा ना हो कि सुख अधिक हो दुख कम | यह
भी ना हो कि दुख ही अधिक हो और सुख कम। दोनों की मात्रा सम हो
, विषम न हो।
प्रश्न:
(२) शीतलता और उष्णता शब्द किन के सूचक है?
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Answer:
shetalta ushnta ke liye or ushnta shetalta ke liye hai
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