दुख की घड़ी में कवि की क्या अपेक्षा है
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Answer:कवि परमात्मा से स्वयं को विपदा से बचाए जाने की अपेक्षा नहीं रखता। वह दुःख में सांत्वना या किसी सहायक को पाने की अपेक्षा भी नहीं करता। वह यह भी नहीं चाहता कि ईश्वर उसकी प्रतिदिन रक्षा करे या उसके दुःख के भार को हल्का करें।
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