दुख में सुमिरन सब करें, सुख में करे न कोय।
जो सुख में सुमिरन करे, दुख काहे को होय।।
काल्ह करे सो आज कर, आज करे सो अब।
पल में परलय होएगी, बहुरि करेगा कब।।
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ऐसी बाणी बोलिए, मन का आपा खोए
औरन को शीतल करे, आपहु शीतल होय।।
रात गँवाई सोय के, दिवस गँवाया खाय।
हीरा जनम अनमोल था, कौड़ी बदले जाय।।
कबिरा ते नर अंध हैं, गुरु को कहते और।
हरि रूठे गुरु ठौर है, गुरु रूठ नहीं ठौर।।
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Kabir..............
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