देख नहीं पाता मैं माँ के नयनों की जलधार।
मेरा हृदय हिला देती है उसकी करुण पुकार।। (काव्य पंक्तियों में निहित रस का
नाम लिखे)
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देख नहीं पाता मैं माँ के नयनों की जलधार।
मेरा हृदय हिला देती है उसकी करुण पुकार।।
(काव्य पंक्तियों में निहित रस का नाम लिखे)
➲ करुण रस
⏩ जिस व्यक्ति के मन में रति करुणा, शोक विभिन्न भाव उत्पन्न होते हैं, तो वहाँ पर करुण रस प्रकट होता है। करुण रस का स्थाई भाव करुणा, दुख, शोक, रति आदि है। किसी प्रियजन के विरह, वियोग या मृत्यु से जो भाव उत्पन्न होते हैं वह करुण रस की उत्पत्ति करते हैं। रति के भाव में उत्पन्न वियोग भी करुण रस प्रकट करता है।
उपरोक्त पंक्तियों में भी करुणा के भाव प्रकट हो रहे हैं, इसलिये इन पंक्तियों में ‘करुण रस’ है।
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