दुःखका अधिकार पाठ में लेखक ने कहा है कि
पोशाक हमारे लिए बंद दरवाजा ही नहीं खोलती
बल्कि कभी बंधन भी बन जाती है क्यों? यह कहानी
निर्धन वर्ग के किस दर्द की बया करती है ? इस
पाठ का शीर्षक दुख का अधिकार कहां तक सार्थक
है?
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Explanation:
दुख हमेशा कि दिल पर ही होना चाहिए क्योंकि हम उनको संगीत अलग-अलग दिखाएं
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