"देखते ही रहोगे अनिमेष"- पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिए।पाठ- यह दंतुरित मुस्कान
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जब भी कोई बच्चा जन्म लेता है तो उसे इस बात का पता नहीं होता की उसके सामने कौन-सा व्यक्ति खड़ा है। उसे जानने के लिए वह बच्चा उसे निहारते ही रहता है ताकि वह उसे पहचान ले। इस कविता में भी वह छोटा बच्चा उस व्यक्ति को अर्थात कवि श्री नागार्जुन जी को पहचानने का प्रयास कर रहा है।
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