। दो लेखक और बस यात्रा
आपने इस लेख में एक बस की यात्रा के बारे में पढ़ा। इससे पहले भी आप
एक बस यात्रा के बारे में पढ़ चुके हैं। यदि दोनों बस-यात्राओं के लेखक
आपस में मिलते तो एक-दूसरे को कौन-कौन सी बातें बताते? अपनी कल्पना
से उनकी बातचीत लिखिए।
Answers
यदि ‘बस की यात्रा’ नामक पाठ के लेखक हरिशंकर परसाई और‘क्या निराश हुआ जाए’ पाठ के लेखक हजारी प्रसाद द्विवेदी आपस में मिले तो हमारी कल्पना के अनुसार निम्नलिखित बातें कर सकते हैं...
हजारी प्रसाद : हरिशंकर भाई और सुनाओ, क्या हाल है, कहाँ से आ रहे हो।
हरिशंकर परसाई : अरे भाई साहब क्या बताऊं कल मुझे एक ऐसी बस में सफर करना पड़ा जिसने मेरी हालत खराब कर दी।
हजारी प्रसाद : क्या हो गया?
हरिशंकर परसाई : मुझे ट्रेन पकड़ने के लिए भोपाल जाना था। मैं अपने मित्र के साथ एक ऐसी बस में भोपाल जाने के लिए बैठ गया, जो बिल्कुल जर्जर हालत में थी।
हजारी प्रसाद : अच्छा। फिर क्या हुआ?
हरिशंकर परसाई : 5 घंटे की बस यात्रा का बड़ी मुश्किल से कटी। बस के सारे कल-पुर्जे खट-खट बोल रहे थे। बस में लगने वाले झटकों से मेरी हालत खराब हो गई। बस रास्ते में खराब भी हो गई। किसी तरह बड़ी मुश्किल से अपनी मंजिल तक पहुँचे।
हजारी प्रसाद : अच्छा, आप ध्यान रखो और आगे से ऐसी किसी बस में यात्रा मत करना।
हरिशंकर परसाई : मैने कान पकड़ लिये।
हजारी प्रसाद : आप को भले ही बस यात्रा में गलत अनुभव हुआ हो, लेकिन मेरे साथ बस यात्रा में एक अच्छा अनुभव हुआ।
हरिशंकर परसाई : बताइये क्या हुआ?
हजारी प्रसाद : मैं अपने परिवार के साथ एक बस यात्रा कर रहा था। टिकट से कंडक्टर से टिकट लेते समय मैने उसे पाँच सौ रुपये ज्यादा दे दिये। मुझे इस बात का पता कंडक्टर ने जब पैसे गिने तो उस पता चल गया उसे तुरंत मेरी सीट पर आकर मेरे पैसे वापस कर दिये। बस की हालत भी बेहद अच्छी थी। ड्राइवर बेहद कुशलता से बस चला रहा था। पूरी यात्रा मजे मे कटी।
हरिशंकर परसाई : काश मेरी बस यात्रा भी ऐसी ही होती।