दिल्ली में हुए बम धमाकों के एक चश्मदीद गवाह नाबालिग बच्चे का फोटो और उसका इंटरव्यू कुछ समाचार चैनलों द्वारा दिखाया जाना बच्चे की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है-इस संबंध में अपनी आपत्ति को किसी प्रतिष्ठित समाचार-पत्र के संपादक को पत्र लिखकर प्रेषित कीजिए।
Answers
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4/41, आज़ादपुर, दिल्ली।
23 जून , 2021
सेवा में,
संपादक,
हिंदुस्तान टाइम्स,
मथुरा रोड, दिल्ली।
विषय- आपराधिक घटनाओं को समाचार चैनल द्वारा सनसनीखेज़ बनाए जाने के संबंध में।
महोदय,
इस पत्र के माध्यम से मैं आपका ध्यान आपराधिक घटनाओं को समाचार चैनलों द्वारा सनसनीखेज़ बनाए जाने तथा न्यायालय के निर्णय से पूर्व स्वयं निर्णय लेने की प्रवृत्ति की ओर आकर्षित कराना चाहती हूँ।
पत्रकारिता को भारतीय समाज में लोकतंत्र का चौथा आधार स्तंभ माना जाता है। लोकतंत्र को सुचारु रूप से चलाने में इसकी महत्त्वपूर्ण भूमिका रही है। वर्तमान समय में कई बार देखा गया है कि विभिन्न समाचार चैनलों ने अपनी सनसनीखेज़ पड़ताल के द्वारा न्यायालयों के निर्णय से पूर्व ही आरोपी को अपराधी ठहरा कर जाँच की प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न की है। 'आरूषि हत्याकांड' इसका उपयुक्त उदाहरण है। समाचार चैनलों की यह प्रवृत्ति जन सामान्य की भावनाओं को आंदोलित करने के साथ ही न्यायिक प्रणाली को भी प्रभावित करती है। किसी भी समाचार चैनल को कार्य केवल उस घटना से संबंधित तथ्यों से जनता को अवगत कराना होता है। किसी भी आरोपी को अपराधी घोषित करना या न करना केवल न्यायालय का कार्य होता है।
अतः मेरा आपके माध्यम से ऐसे समाचार चैनलों से अनुरोध है कि उन्हें अपनी ऐसी प्रवृत्ति को त्याग देना चाहिए। मैं आपसे निवेदन करती हूँ कि आप अपने समाचारपत्र के माध्यम से इन चैनलों के इस रवैये के खिलाफ कोई ठोस कदम उठाए।
धन्यवाद।
भवदीया
ज्योति मेहरा
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Answer:
किसी आपराधिक घटना की अपनी सनसनीखेज़ पड़ताल में कुछ समाचार चैनल जाँच में बाधा डालते हैं और न्यायालयों में मामला पहुँचने से पहले ही आरोपी को अपराधी ठहरा देते हैं। ... दिल्ली में हुए बम धमाकों के एक चश्मदीद नाबालिग गवाह का फोटो और उसका इंटरव्यू कुछ समाचार चैनलों द्वारा दिखाया जाना बच्चे की सुरक्षा के लिए खतरा हो सकता है।
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