दिल्ली-मुम्बई औद्योगिक कारिडोर राजस्थान के कितने जिलों में से होकर गुजरेगा? (1) 13 (2) 14 (4) 16 (3) 15
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दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरिडोर परियोजना राजस्थान में विकास की एक नई इबारत लिखने जा रही है। उद्योग व्यापार जगत के लोगों का कहना है कि इस परियोजना के कारण आने वाले वर्षों में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद (जीडीपी) 3 गुना तक बढ़ जाएगा, वहीं इस परियोजना के तहत आने वाले वर्षों में लगभग 3 लाख करोड़ रुपये का निवेश राजस्थान में होने की संभावना बनी है।
भारत सरकार की महत्त्वाकांक्षी दिल्ली-मुंबई डेडीकेटेड फ्रेट कॉरिडोर परियोजना के तहत दिल्ली और मुंबई के बीच डेडीकेटेड रेल फ्रेट कॉरिडोर की स्थापना की जा रही है, जिसकी कुल लंबाई 1483 किलोमीटर है। यह दादरी, दिल्ली के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र से होता हुआ उत्तर प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान, गुजरात एवं महाराष्ट्र के जवाहर लाल नेहरू पोर्ट तक जाएगा। यह समर्पित कॉरिडोर उच्च गति कनेक्टिविटी प्रदान करेगा। फ्रेट कॉरिडोर का अधिकतम 39 प्रतिशत हिस्सा राजस्थान से होकर गुजरता है, जिसकी कुल लंबाई लगभग 578 किमी है।
परियोजना के लिए वांछित भूमि अवाप्ति का कार्य लगभग पूरा हो चुका है। परियोजना में रेल मंत्रालय की चयनित कंपनियों द्वारा रेलवे ट्रैक बिछाने का कार्य इसी वर्ष शुरू किया जाना प्रस्तावित है। परियोजना का क्रियान्वयन वर्ष 2016 तक होने की संभावना है।
उच्च गति का संपर्क औद्योगिक विकास के लिए प्रचुर अवसर प्रदान करती है। इसी उद्देश्य से भारत सरकार द्वारा दिल्ली-मुंबई इंडस्ट्रियल कॉरिडोर परियोजना (डीएमआईसी) क्रियान्वित की जा रही है। इस परियोजना के अंतर्गत फ्रेट कॉरिडोर के दोनों तरफ लगभग 150 किमी के बैंड को औद्योगिक गलियारे के रूप में विकसित किया जाएगा। इससे राजस्थान का उत्तरी भारत के बाजारों एवं उत्पादन क्षेत्रों से भी निर्बाध संपर्क स्थापित हो जाएगा। विकास के लिए राज्य में कुल 5 नोड्स चयनित किए गए हैं। इनमें खुशखेड़ा-भिवाड़ी-नीमराणा, जयपुर-दौसा, अजमेर-किशनगढ़, राजसमंद-भीलवाड़ा एवं जोधपुर-पाली-मारवाड़ का चयन किया गया है।
फेडरेशन ऑफ राजस्थान ट्रेड ऐंड इंडस्ट्री (फोर्टी) के पूर्व महासचिव प्रेम बियाणी का कहना है कि इस परियोजना से राजस्थान का निर्यात बढ़ेगा, क्योंकि राजस्थान में कोई भी बंदरगाह नहीं है। इस परियोजना के आस-पास औद्योगिक टाउनशिप विकसित होंगी, जिससे राज्य के लोगों को भारी मात्रा में रोजगार मिलेगा और औद्योगिक विकास होगा। इस परियोजना में त्वरित माल के परिवहन के कारण खाद्य प्रसंस्करण, कृषि, खनन, कपड़ा और इंजीनियरिंग सामान उद्योगों को बढ़ावा मिलेगा, वहीं लॉजिस्टिक सेवाओं का भी विकास होगा। यदि इस परियोजना को समय पर पूरा कर लिया जाता है तो राज्य का जीडीपी 3 गुना तक बढ़ जाएगा।
योजना के प्रथम चरण में अलवर में खुशखेड़ा-भिवाड़ी-नीमराना निवेश क्षेत्र को विकसित किया जा रहा है। यहां एक नए औद्योगिक शहर का निर्माण प्रस्तावित है जिसमें एक इंटीग्रेटेड टाउनशिप, एक नॉलेज सिटी परियोजना, बड़ी एयरपोर्ट परियोजना तथा नीमराणा एवं भिवाड़ी को जोडऩे के लिए सेंट्रल स्पाइन योजना के रूप में 70 किलोमीटर लंबी सड़क, जो कि विकसित क्षेत्र को राष्ट्रीय राजमार्ग संख्या 8 से जोड़ेगी, प्रस्तावित है।
हाल ही में प्रस्तावित औद्योगिक शहर के ड्राफ्ट मास्टर प्लान की अधिसूचना जारी करने के लिए जनहित से सुझाव एवं टिप्पणी आमंत्रित करने के लिए प्रकाशित की गई है। परियोजना के लिए नियुक्त सलाहकारों द्वारा राजस्थान में प्रस्तावित एयरपोर्ट के विकास हेतु एक उपयुक्त स्थान का चयन अलवर जिले के कोटकासिम के समीप किया गया है। प्रस्तावित परियोजना हवाई अड्डे हेतु डीएमआईसीडीसी लिमिटेड के माध्यम से नागरिक उड्डयन मंत्रालय एवं रक्षा मंत्रालय के समक्ष औपचारिक आवेदन प्रस्तुत किया गया। इस परियोजना के लिए रक्षा मंत्रालय से एनओसी प्राप्त भी की जा चुकी है।
परियोजना के लिए भूमि अवाप्ति का काम भी शुरू हो चुका है, जिसके तहत 1506.8 हेक्टेयर भू-अवाप्ति के लिए अधिसूचना जारी कर जनसुनवाई की कार्यवाही भी हो चुकी है।
परियोजना में राज्य सरकार द्वारा जोधपुर-पाली मारवाड़ रोड को दूसरे नोड के रूप में विकसित करने का निर्णय लिया गया है। इस नोड के लिए चयनित अर्लीबर्ड परियोजनाओं में - पाली-मारवाड़ हेतु जल आपूर्ति एवं वेस्ट वाटर प्रबंधन, एक नया हवाई अड्डा, मल्टी मॉडल लॉजिस्टक हब एवं चयनित सड़क परियोजना का निर्माण एवं सुदृढ़ीकरण के साथ ही जोधपुर को पाली से जोडऩे के लिए एक मास रैपिड ट्रांजिट सिस्टम का चयन किया गया है।
इस तरह दिल्ली-मुंबई औद्योगिक कॉरीडोर परियोजना साकार रूप लेकर राजस्थान में विकास का मार्ग प्रशस्त करेगी। औद्योगिक विकास के साथ ही क्षेत्र के समग्र विकास से रोजगार एवं समृद्धि के नए द्वार खुलेंगे। मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने इस परियोजना को सर्वोच्च प्राथमिकता में रखते हुए राज्य स्तर पर उठाए जाने वाले सभी कदमों की गति को तेज किया है ताकि प्रदेश के नागरिक इसका समुचित लाभ उठा कर आर्थिक उन्नति के रास्ते पर तेज कदम बढ़ा सके।
फोर्टी के अध्यक्ष आत्माराम गुप्ता का कहना है कि इस परियोजना के कारण पश्चिमी राजस्थान के रेगिस्तानी इलाके का भी औद्योगीकरण हो पाएगा। इस परियोजना से आने वाले वर्षो में राज्य में 3 लाख करोड़ रुपये का निवेश होने का अनुमान है।
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