दिल्ली विश्वविद्यालय का एक मात्र प्राथमिक शिक्षा के निर्णय लेने में बिकेंद्रीकरण की
भूमिका का अध्ययन करना चाहता था। उसने गाँववासियों से कुछ सवाल पूछे। ये सवाल नीच
लिखे हैं। यदि गांववासियों में आप शामिल होते तो निम्नलिखित प्रश्नों के क्या उत्तर देत?
गाँव का हर बालक/बालिका विद्यालय जाए, इस बात को सुनिश्चित करने के लिए
कौन-से कदम उठाए जाने चाहिए - इस मुद्दे पर चर्चा करने के लिए ग्राम सभा की
बैठक बुलाई जानी है।
बैठक के लिए उचित दिन कौन-सा होगा, इसका फ़ैसला आप कैसे करेंग? सोचिए कि
आपके चुने हुए दिन में कौन बैठक में आ सकता है और कौन नहीं?
(अ) खंड विकास अधिकारी अथवा कलेक्टर द्वारा तय किया हुआ कोई दिन।
(व) गाँव का बाजार जिस दिन लगता है। (स) रविवार (द) नाग पंचमी/संक्रांति
बैठक के लिए उचित स्थान क्या होगा? कारण भी बताएँ।
(अ) जिला कलेक्टर के परिपत्र में बताई गई जगह। (ब) गाँव का कोई धार्मिक स्थान।
(स) दलित मोहल्ला। (द) ऊँची जाति के लोगों का टोला। (ध) गाँव का स्कूल।
(1) ग्राम सभा की बैठक में पहले जिला-समाहर्ता (कलेक्टर) द्वारा 'पेजा गया परिपत्र पढ़ा
गया। परिपत्र में बताया गया था कि शैक्षिक रैली को आयोजित करने के लिए क्या कदम
उठाये जाएँ और रैली किस रास्ते होकर गुजरे। बैठक में उन बच्चों के बारे में चर्चा नहीं हुई
जो कभी स्कूल नहीं आते। बैठक में बालिकाओं की शिक्षा के बारे में, विद्यालय भवन की
दशा के बारे में और विद्यालय के खुलने बंद होने के समय के बारे में भी चर्चा नहीं हुई।
बैठक रविवार के दिन हुई इसलिए कोई महिला शिक्षक इस बैठक में नहीं आ सकी।
लोगों की भागीदारी के लिहाज से इस को आप अच्छा कहेंगे या बुरा? कारण भी बताएँ।
घ) अपनी कक्षा की कल्पना ग्राम सभा के रूप में करें। जिस मुद्दे पर बैठक में चर्चा होनी थी
उस पर कक्षा में बातचीत करें और लक्ष्य को पूरा करने के लिए कुछ उपाय सुझाय।
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