Hindi, asked by tanyafatima4059, 3 months ago

ठेले पर यदि बर्फ की सीढ़ियां तथा हिमालय पर जमी बर्फ किन के प्रतीक है आपको इनमें से क्या पसंद है​

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Answered by studarsani18018
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कठिन शब्दार्थ-दिलचस्प = आकर्षक। शीर्षक = नाम। बैठे-बिठाये = अनायास। खोए रहे = तल्लीन। कौंधना = चमकना, दिखाई देना। नए कवि = नई कविता की रचना करने वाला। बेडौल-बेतुकी = प्रभावहीन। गुंजाइश = संभावना। शिखर = पर्वत की चोटी। सन्दर्भ एवं प्रसंग-प्रस्तुत गद्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक ‘सृजन’ में संकलित ‘ठेले पर हिमालय’ शीर्षक निबन्ध से उद्धृत है। इसके लेखक डॉ. धर्मवीर भारती हैं। डॉ. भारती ने देखा कि एक विक्रेता बर्फ की सिल्लियाँ ठेले पर लादकर लाया। उनमें से भाप निकल रही थी। लेखक के एक अल्मोड़ा निवासी उपन्यासकार मित्र को उनको देखकर हिमालय की बर्फीली चोटियों की याद आ गई। व्याख्या-लेखक कहता है कि उसने अपने यात्रा वृत्तान्त का नाम रखा- ‘टेले पर हिमालय’। यह अत्यन्त आकर्षक शीर्षक है। इस शीर्षक को तलाश नहीं करना पड़ा। उनको यह अनायास ही प्राप्त हो गया। एक दिन लेखक एक पान की दुकान पर अपने उपन्यासकार मित्र के साथ खड़ा था। उसी समय ठेले पर बर्फ की सिल्लियाँ लादे एक बर्फ बेचने वाला आया। मित्र ने बर्फ से उठती भाप को देखा। वह उसे देखने में लीन था। उसके मन में हिमालय के शिखर पर जमी बर्फ की याद थी। उसने कहा कि यही बर्फ हिमालय की सुन्दरता है। तुरन्त लेखक के मन में शीर्षक प्रकट हुआ ‘ठेले पर हिमालय’। लेखक इन बातों को इस कारण बताना चाहता है कि श्रोता/पाठक यदि नई कविता’ का कवि है तो इस शीर्षक पर दो-तीन सौ उल्टी-सीधी कविता की पंक्तियाँ लिख सकता है। यदि उसको नई कविता नापसंद हो और वह सुन्दर गीतों की रचना करने वाला गीतकार हो तो अपने गीत में वह इस बर्फ से सीधा संवाद कर सकता है। वह इसको डाँटकर कह सकता है कि वह हिमालय के ऊँचे शिखर पर चढ़कर बन्दरों की तरह क्यों बैठी है। नीचे उतर आए। वह कहता है कि हे नये कवियो ! ठेले पर लदो और पान की दुकान पर बिको। विशेष- (i) लेखक ने बताया है कि ठेले पर लदी बर्फ की सिल्लियाँ देखकर लेखक के मित्र को हिमालय की आकर्षक हिम याद आई। (ii) हिमालय की शोभा उसकी धवल, शीतल बर्फ है। (iii) भाषा सरल तथा प्रवाहपूर्ण है। (iv) शैली विनोद तथा व्यंग्यपूर्ण है।

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