दुलारी विशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक−सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी अति विशिष्ट है। इस कथन को ध्यान में रखते हुए दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ लिखिए।
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उत्तर: दुलारी बेशक उन सामाजिक, सांस्कृतिक के दायरे से बाहर है क्योंकि समाज के प्रतिष्ठित लोगों द्वारा इन प्रतिभावान व्यक्तियों व इनकी कलाओं को उचित सम्मान नहीं मिल पाया।दुलारी की विशिष्टता उसे सबसे अलग करती है।
दुलारी की चारित्रिक विशेषताएँ
- दुलारी एक प्रभावशाली गायिका थी , उसकी आवाज़ में मधुरता व लय का सुन्दर संयोजन है। पद्य में तो सवाल − जवाब करने में उसे कुशलता प्राप्त थी। उसके आगे अच्छा गायक भी नहीं ठीक पाता था।
- देश के प्रति समर्पित − बेशक दुलारी प्रतयक्ष रूप से स्वतन्त्रता संग्राम में ना कूदी हो पर वह अपने देश के प्रति समर्पित स्त्री थी। तभी उसने फेंकू द्वारा दी, रेशमी साड़ियों के बंडल को, विदेशी वस्त्रों को एकत्र करके जलाने हेतु जुलूस में आए लोगों को दे दिया।
- समर्पित प्रेमिका − दुलारी एक समर्पित प्रेमिका थी। वह टुन्नू से मन ही मन प्रेम करती थी। परन्तु उसके जीते−जी उसने अपने प्रेम को कभी व्यक्त नहीं किया। उसकी मृत्यु ने उसके ह्रदय में दबे प्रेम को आंसुओं के रूप में प्रवाहित कर दिया।
- निडर स्त्री − दुलारी एक निडर स्त्री थी। वह किसी से नहीं डरती थी। अकेली स्त्री होने के कारण उसने स्वयं की रक्षा हेतु अपने को निडर बनाया हुआ था। इसी निडरता से उसने फेकूं की दी हुई साड़ी जुलूस में फेंक दी। टुन्नू की मृत्यु के पश्चात उसने अंग्रेज विरोधी समारोह में भाग लिया तथा गायन पेश किया।
- स्वाभिमानी स्त्री − दुलारी एक स्वाभिमानी स्त्री थी। वह अपने सम्मान के लिए समझौता करने के लिए कतई तैयार नहीं थी। इसलिए उसे उसकी गायकी में कोई भी हरा नहीं सकता था।
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दुलारी बिशिष्ट कहे जाने वाले सामाजिक सांस्कृतिक दायरे से बाहर है फिर भी वह अतिविशिष्ट है| वहाँ के समाज के प्रतिष्ठित लोगों द्वारा इन प्रतिभावान व्यक्तियों और इनकी कलाओ को ठीक-ठाक मान-सम्मान नहीं दिया जाता था लेकिन इस प्रकार के समाज में भी दुलारी ने अपना कुछ अलग ही स्थान बना लिया था। वह जहाँ भी जाती उसे जीत ही हासिल होती था। दुलारी की मुख्य चारित्रिक विशेषताएँ निम्नलिखित हैं-
स्वाभिमानी- दुलारी बहुत ही स्वाभिमानी महिला थी। वह अपने स्वाभिमान का समझौता किसी के भी सामने एवं किसी भी स्थिति में नहीं करती थी|
निडर स्त्री- दुलारी एक बहुत ही निडरस्त्री थी। अकेली स्त्री होने के कारण उसने स्वयं की रक्षा हेतु खुद को निडर बना लिया था। अपनी निडरता के कारण ही दुलारी ने फेंकू की दी हुई साड़ी को जूलूस मे फेंक दिया था। वह किसी से भी नहीं डरती थी| निडरता से पूरे समाज का सामना अकेले करती थी|
सच्ची प्रेमीका- दुलारी एक सच्ची प्रेमीका थी। वह टुन्नू से बहुत प्रेम करती थीं। लेकिन वह कभी भी अपने प्रेम को टुन्नू के सामने बयान नहीं करती थी लेकिन टुन्नू की मृत्यु के पश्चात उसने टुन्नू के प्रति अपने प्रेम को खुलकर व्यक्त किया|
प्रबुद्ध गायिका : दुलारी मधुर स्वर में गाती थी| उसमें गाने एवं तुरंत सवाल-जवाब करने की अनोखी प्रतिभा थी| वह दंगल में जिस पक्ष में खड़ी होती, जीत उसी पक्ष की होती थी|