दुलहनी गावहु मंगलचार।की व्याख्या
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दुलहनी गावहु मंगलचार की व्याख्या नीचे दी गई है।
- कबीर दास जी कहते है कि सुहागिन नारियों । विवाह के अवसर पर गाए जाने वाले मंगल मय गीत गाओ । गीत गाने का कारण है कि मेरे घर में आज पति रूपी परमात्मा आए है। मेरे तन व मन दोनों उनके प्रेम में लीन हो गए है। पांचों तत्व अग्नि, जल, आकाश पृथ्वी व वायु राजा राम के बाराती बनकर आए है तथा मेरे घर अतिथि बनकर परमात्मा आए है।
- मै उनकी भक्ति में मग्न हूं।अपने शरीर रूपी कुंड को मै विवाह की बेदी बनाकर विवाह की पीरिक्रमाए पूर्ण करूंगी।
- यह मेरा सौभाग्य है। मेरा जीवन धन्य हो गया है।मेरा परमात्मा से मिलन हो रहा है।
- परमात्मा व मेरे इस विवाह को देखने तैंतीस करोड़ देवी देवता तथा अठयासी हजार मुनि आए हुए है। इस तरह मेरी आत्मा अविनाशी परमात्मा से विवाह करने जा रही है ।
#SPJ5
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