Hindi, asked by samridhi566, 6 months ago

दौलत की तुलना जल से क्यों की गई है​

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Answered by altamas006886
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Kyo ki jal hi jivan hai

Answered by veditavermajnv
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मानवमात्र को धन दौलत का अभिमान नहीं करना चाहिए, लक्ष्मी चंचल है, कब आती है और कब चली जाती है पता ही नहीं चलता। यह बात ब्रह्मधाम आसोतरा के गादीपति तुलसाराम महाराज के 37वें चातुर्मास के अवसर पर खेतेश्वर जन्मस्थली बिजरोल खेड़ा में आयोजित शिव महापुराण कथा के दौरान मंगलवार को कथा वाचक वेदांताचार्य डॉ. ध्यानाचार्य ने कही। वेदांताचार्य ने कहा कि आपके पास धन दौलत है तो प्राणी मात्र की सेवा मे खर्च करो, धन को कभी भी कमाया जा सकता है, लेकिन परोपकार मे लगाए गए धन के बदले पुण्य कमाना बड़ा कठिन है। धन को किसी के पास भी हो सकता है, लेकिन परोपकार में लगाना कठिन है। मनुष्य जीवन भर धन दौलत इक्कठा करने में लगा रहता है, लेकिन प्रभु स्मरण परोपकार के कार्य नहीं करने से जीवन के अंतिम समय धन को यही छोड़ जाता है, तथा परोपकार मे धन खर्च नहीं करने से साथ कुछ भी नहीं ले जाता है। शिव महापुराण कथा वाचन के दौरान बीचबीच में गुरू महाराज के जयकारों के साथ ही साथ भक्तगण झूमते हुए नजर आए। वही कथा सुनने आस पास के गांवों के हजारों की तादाद में श्रद्धालु पहुंच रहे हैं। इस अवसर पर धुखाराम पुरोहित बाली, सरपंच मंगलसिह जोजावत, नगराज पुरोहित, केसरसिह, मांगीलाल रणोदर, तलसाराम चौधरी, जोराराम चौधरी, भंवरसिंह राजपूत, खेताराम दर्जी, चंदनसिंह, सांवलाराम धूंबडिया, रामलाल भीनमाल, जवाजी सारियाणा, जवारजी सारियाणा समेत समाजबंधु ग्रामीण मौजुद थे।

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