दौलत पाय न कीजिए, सपने में अभिमान। चंचल जल दिन चारि को, ठाऊँ न रहत निदान ॥ का भावार्थ।।
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चंचल जल दिन चारि को, ठाउँ न रहत निदान ।। ... कवि कहते हैं कि दौलत का कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए क्यूंकि दौलत पानी कि तरह होती है और जैसे पानी बह जाता है वैसे ही दौलत भी चार दिन की चांदनी होती है। उसके लिए कभी भी अभिमान नहीं करना चाहिए। बल्कि हमें केवल सबसे अच्छे से व्यवहार करना चाहिए।
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