दिमागी गुलामी का सारांश लिखिये...?.
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jo kisiko apne dimag se manta ho...dil se nhi
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'दिमागी गुलामी' है प्रगति में बाधक जिस जाति की सभ्यता जितनी पुरानी होती है, उसकी मानसिक दासता के बंधन भी उतने ही अधिक होते हैं. भारत की सभ्यता पुरानी है, इसमें तो शक ही नहीं और इसलिए इसके आगे बढ़ने के रास्ते में रुकावटें भी अधिक हैं. मानसिक दासता प्रगति में सबसे अधिक बाधक होती है|
‘दिमागी गुलामी’ नाम की इस छोटी-सी पुस्तिका में राहुल ने अपनी मारक और विचारोत्तेजक शैली में देश के पिछड़े सामाजिक जीवन के कुछ पहलुओं पर विचार किया है। आज से ठीक पचास वर्ष पहले लिखी गयी यह पुस्तिका कई मायनों में आज भी प्रासंगिक है। इसका पुनर्प्रकाशन अतीत की स्मृतियों से प्रेरणा लेने और अपनी गौरवशाली परम्परा से जुड़कर उसकी अधूरी राह पर आगे बढ़ने के प्रयास में मदद करेगा, यह हमारा विश्वास है
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