दिमागी गुलामी में लेख़क ने कोण कोण से बिचार उठाये है
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दिमागी गुलाम पुस्तक की रचना प्रसिद्ध हिंदी साहित्यकार राहुल सांकृत्यायन ने की है। ... उन्होंने इस पुस्तक में यह बताया है कि हम भारत के लोग भले ही शारीरिक रूप से आजाद हो गए हो लेकिन मानसिक रूप से अभी भी गुलाम हैं और पूर्ण रूप से आजादी के लिए मानसिक गुलामी से छुटकारा पाना आवश्यक है तभी सही मायनों में स्वतंत्र कहे जायेंगे।
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