दिमाग का संतुलन टूट जाता है, क्यों
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दिमाग में केमिकल का संतुलन बिगड़ जाने से मरीज को मानसिक समस्याएं आती हैं। इस पर नियंत्रण रखने के लिए कुछ मरीजों को जीवनभर दवा खाने की जरूरत पड़ती है। वहीं कुछ मरीजों को परिवार के सहयोग से ठीक किया जा सकता है। ऐसे मरीज को कुछ दिनों तक ही दवा दी जाती है। यह कहना है कि मनोरोग विशेषज्ञ डॉ. मिनाक्षी मनचंदा और डॉ. अजय भार्गव का।
उनका कहना है कि ऐसे मरीजों के साथ 24 घंटे किसी न किसी व्यक्ति को साथ में रहना चाहिए। कई बार ऐसे मरीज को लगता है कि उनके साथ रहने वाले लोग उनका विरोध कर रहे हैं। ऐसे में उनके दिमाग में नाकारात्मक सोच आ जाती है। ऐसे में वह किसी भी व्यक्ति पर आक्रमण कर देता है। ऐसे व्यक्ति को उनकी सहमती से कोई भी काम करना चाहिए। जिससे उनके दिमाग में नाकारात्मक सोच न आए।
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hamare dimag Ka santulan thood deti hain