ठुमकती-ठुमकती सरिता का हाथ उस तार से छू गया । सरिता उससे चिपक गई। उस तार से प्रवाहित
कोशिश
विषम परिस्थितियों में अपना साहस नहीं खोया और अपनी जुझारू
की लाइन से ग्यारह हजार वोल्ट का बिजली का नंगा तार ढीला होकर छत पर लटक रहा था।
* मन के साहसी
यह कहानी सरिता नाम की लड़की की है जिसने जीवन की घोर
प्रवृत्ति के कारण वह साहस की एक जीती-जागती मिसाल बन
सरिता बचपन में एक भयंकर हादसे का शिकार हो गई थी।
फतेहपुर निवासी श्रीमती विमला विवेदी और श्री विजयकांत
द्विवेदी की तीसरी पुत्री सरिता तब मात्र चार वर्ष की थी।
10 अगस्त, 1995 का दिन था-माँ विमला द्विवेदी अपने भाई
को राखी बाँधने इटावा गई थीं। वहीं एक ऐसा भयंकर हादसा
हुआ कि सबके रोंगटे खड़े हो गए और पाँवों तले जमीन खिसक
गई। सुबह का समय था। रिमझिम वर्षा हो रही थी। सरिता अपने
भाई-बहनों के साथ खेलते-खेलते छत पर पहुँच गई। वहाँ बिजली
पारिता की मा
तीत और गातक था कि सरिता की हड्डियाँ जलकर मानों कोयला बन गई
Answers
Answered by
0
Answer:
भाई चाहते क्या हो क्या करना है सीरियल से बताओ
Similar questions
World Languages,
5 months ago
Hindi,
5 months ago
Math,
10 months ago
Social Sciences,
10 months ago
Math,
1 year ago