दाने आए घर के अंदर कई दिनों के बाद
धुआँ उठा आँगन से ऊपर कई दिनों के बाद
चमक उठीं घर भर की आँखे कई दिनों के बाद
कौए न खुजलाई पाँखें कई दिनों के बाद
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Answer: प्रस्तुत पक्तियां प्रगतिवादी कवि नागार्जुन द्वरा रचित आकाल और उसके बाद कविता से ली गईl
जिसमे आकाल के बाद हमरे घर की व् आस पास का परिवेश सब संगर्ष करते हैं, व्यक्ति के साथ पक्षी ,जानवर सभी विचलित हैं , धीरे -धीरे आकाल क बाद स्थति कुछ ठीक हुई हैं दाने से आशय हैं बहुत दिनों बाद घर मे अन का दाना आया हैं,जिससे आँगन मे चूल्हे पर भोजन पाक रहा है जिससे धुआ उठ रहा हैं,l बहुत दिनों बाद उदासीन आँखों में चमक आयीं हैं',कोए जो बहुत दिन से अन का दाना नहीचुंगे' थे, आज बहुत दिनों बाद वह भी चुस्त होकर अपने पंखो को फेला रहे हैं l
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