दोनों बैलों का ऐसा अपमान कभी न हुआ था। झूरी इन्हें फूल का छड़ा स
न छूता था। उसकी टिटकार पर दोनों उड़ने लगते थे। यहाँ मार पड़ी। आहत-सम्मान
की व्यथा तो थी ही, उस पर मिला सूखा भूसा!
नाँद की तरफ आँखें तक न उठाईं।
गों को दल में जोता पर इन दोनों ने जैसे पाँव न उठाने की
सनदभ पसंग
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sorry I can't understand your question
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