दोनों बैलो ने आजादी का अनुभव कब किया था
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Answer:
प्रेमचंद द्वारा रचित कहानी 'दो बैलों की कथा' में मनुष्य के पशु प्रेम तथा पुरुषों का अपने स्वामी के प्रति लगाव का सजीव चित्रण किया गया है। पशु अपने मालिक के लिए कुछ भी करने के लिए तैयार रहते हैं। हीरा - मोती की झूरी से प्रेम यही सिद्ध करता है। लेखक ने मूक पशुओं की एक दूसरे के प्रति सद्भावनाओं तथा स्वतंत्रता के लिए उनके संघर्ष का भी स्वाभाविक वर्णन किया है।
उत्तर :
इस कहानी में लेखक ने हीरा-मोती को दूसरे की कैद से स्वयं को मुक्त करने के लिए संघर्ष करते हुए दिखाया है। हीरा मोती अपने बल से गया के घर से रस्सी तोड़कर अपने घर आ जाते हैं। दूसरी बात अनेक मुसीबतें सहन करते हुए भी गया के खेतों में काम नहीं करते और छोटी बच्ची की सहायता से आजाद हो जाते हैं। आखिर में कांजीहौस से अन्य जानवरों को आजाद कराते हैं तथा स्वयं दंड पाकर भी दढ़ियल के चंगुल से छूटकर अपने घर वापस आ जाते हैं। इस प्रकार यह कहानी भारत की आज़ादी की लड़ाई की ओर भी इशारा करती है कि किस प्रकार हम भारतवासियों ने अनेक कठिनाइयों का सामना करते हुए आखिर में आजादी प्राप्त की है।
आशा है कि यह उत्तर आपकी मदद करेगा।।।