दिन ही बपशाहत मिलने के बाद आप
और सलीग ने क्या किया पा
रख
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Explanation:
संसार में भांति-भांति प्रकार के लोग रहते हैं. कोई भला होता है तो कोई बुरा. कोई नेकी की राह पर चलता है तो कोई गलत रास्ते को चुनता है. अच्छी राह पर चलने वाले लोग सदा सफल होते हैं. और गलत रास्ते पर चलने वालों का परिणाम हमेशा बुरा ही होता है. आइए अच्छे और बुरे का फर्क समझते हैं.
जापान में एक शहर है ओसाका. शहर के निकट एक गांव में एक विद्वान संत रहते थे. एक दिन संत अपने एक अनुयायी के साथ सुबह की सैर कर रहे थे. अचानक एक व्यक्ति उनके निकट आया और उन्हें भला-बुरा कहने लगा. संत मुस्कराकर चल दिए. संत पर कोई असर न देख वह व्यक्ति परेशान हो गया. वह गुस्से से तमतमा उठा और उनके पूर्वजों को गालियां देने लगा. फिर भी संत मुस्कराते रहे. संत पर जब कोई असर नहीं हुआ तो वह व्यक्ति निराश होकर रास्ते से हट गया.
उस व्यक्ति के जाते ही एक अनुयायी ने संत से पूछा कि आपने उस दुष्ट की बातों का कोई जवाब क्यों नहीं दिया, वह बोलता रहा और आप मुस्कराते रहे. क्या आपको उसकी बातों से जरा भी कष्ट नहीं हुआ? संत कुछ नहीं बोले और अपने अनुयायी को पीछे आने का इशारा किया. कुछ देर बाद संत के साथ वह अनुयायी कक्ष में पहुंचा. संत बोले, ‘तुम यहीं रुको मैं अंदर से अभी आता हूं. कुछ देर बाद संत अपने कमरे से निकले तो उनके हाथों में कुछ मैले कपड़े थे. उन्होंने बाहर आकर उस अनुयायी से कहा, ‘ये लो, तुम अपने कपड़े उतारकर इन्हें धारण कर लो.’