दोनों हंस अपने मित्र कछुए की किस बात पर दुखद है
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एक बार गर्मी के मौसम में तालाब का पानी धीरे-धीरे सूखने लगा। जानवर पानी पीने के लिए तरसने लगे। यह देखकर हंसों ने कछुए से कहा कि इस तालाब का पानी कम हो रहा है और हो सकता है कि यह बहुत जल्दी सूख जाए। तुम्हें यह तालाब छोड़कर कहीं और चले जाना चाहिए।
इस पर कछुए ने कहा कि मैं यह तालाब छोड़कर कैसे जा सकता हूं और यहां आसपास कोई तालाब भी नहीं है, लेकिन हंस अपने दोस्त का भला चाहते थे। उन्होंने अपने दोस्त की मदद कर के लिए खूब सोचा और एक तरकीब निकाली।
दोनों हंसों ने कहा कि हम एक लकड़ी लेकर आते हैं, तुम अपने मुंह से उसे बीच में से पकड़ लेना और लकड़ी का एक-एक सिरा हम दोनों पकड़कर तुम्हें यहां से दूर एक बड़े तालाब में ले जाएंगे। उस तलाब में बहुत सारा पानी है और वो कभी नहीं सूखता।
यह स्थिति देखकर हंसों को कछुए के प्रति चिंता होने लगी । उन्होंने दुखी भाव से कछुए से कहा : ”मित्र यह सरोवर तो अब सूख चला है । अब तो इसमें थोड़ा-सा जल और कीचड़ ही बचा है ।