दिन जल्दी जल्दी ढलता है यह गीत कवि की किस रचना से उद्धृत है
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विह्वलता-बेचैनी, भाव आतुरता। प्रसंग-प्रस्तुत काव्यांश हमारी पाठ्यपुस्तक 'आरोह, भाग-2' में संकलित गीत 'दिन जल्दी-जल्दी ढलता है' से उद्धृत है। इस गीत के रचयिता हरिवंश राय बच्चन हैं। इस गीत में कवि ने एकाकी जीवन की कुंठा तथा प्रेम की व्याकुलता का वर्णन किया है।
दिन जल्दी जल्दी ढलता है यह गीत कवि की किस रचना से उद्धृत है :
दिन जल्दी जल्दी ढलता है’ गीत (कविता) हरिवंश राय बच्चन की रचना ‘दिशा निमंत्रण’ से लिया गया है।
व्याख्या :
इस काव्य संग्रह की रचना उन्होंने सन 1936 में की थी। उस समय उनकी पहली पत्नी की मृत्यु के कारण वो एकाकी जीवन जी रहे थे।
कवि इस कविता के माध्यम से अपने मन के भावों को व्यक्त कर रहे हैं। वह प्रकृति की दैनिक परिवर्तनशील के विषय में बता रहे हैं। कवि कहने का भाव यह है कि हर किसी का घर पर कोई ना कोई इंतजार कर रहा है, चाहे पक्षी हो या अन्य कोई। इसीलिये सबके के पैरों में तेजी है ताकि अपने प्रियजन के पास जल्दी से जल्दी पहुंच सके। लेकिन कवि के लिए कोई ऐसा नहीं है, जो घर पर इंतजार कर रहा हो, इसीलिए कवि के पैरों में शिथिलता है, कि घर पर जल्दी पहुंच कर भी क्या करेगा।
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