Hindi, asked by paritripathi47, 10 months ago

दिन जल्दी-जल्दी उलता है।
हो जाए न पथ में रात कही,
मंजिल भी तो है दूर नहीं
यह सोच थका दिन का पंथी भी जल्दी-जल्दी चलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है।
बच्चे प्रत्याशा
होंगे.
नीड़ों से झाँक रहे होंगे-
यह ध्यान परों में चिड़ियों के भरता कितनी चंचलता है।
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!
मुझसे मिलने को कौन विकल?
मैं होऊँ किसके हित चंचल?
यह प्रश्न शिथिल करता पद को, भरता उर में विह्वलता है!
दिन जल्दी-जल्दी ढलता है!​

Answers

Answered by savitadubeybangur
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Answer:

मंजिल भी तो दूर नहीं यदि मनुष्य चाहे तो उसकी मंजिल दूर नहीं है यह सोचकर पंछी भी जल्दी-जल्दी आसमान में उड़ता है और अपने लिए दाने जमा कर लेता है तो मनुष्य हताश क्यों हो जितनी चंचलता से चिड़िया अपना घोंसला भर्ती हैं और वह अपने झरोखे से झांकती रहती हैं उतनी ही बीरबल ताशे मुझसे मिलने के लिए कौन विकल है जो कि एक चंचल हंसी हंस रहा है मैं किसके साथ अपनी प्रसन्नता व्यक्त करूं यह प्रश्न मुझे शिथिल कर देता है और मेरे मन में भी वलता भर देता है हे पंछी तुम जल्दी-जल्दी अपने कार्य को पूरा करो।

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