Hindi, asked by neelimasahu78, 5 months ago

दिन का ढलना कवि बच्चन को कैसा प्रतीत करता है​

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Answered by shishir303
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दिन का ढलना कवि बच्चन को कैसा प्रतीत करता है​?

➲  दिन का ढलना जल्दी-जल्दी को जिंदगी जल्दी जल्दी बीत जाने जैसा प्रतीत होता है।

‘जल्दी-जल्दी दिन ढलता है’ कविता में कवि ‘हरिवंश राय बच्चन’ के मन में यह आशंका है कि दिन रूपी इस जीवन का सफर जल्दी-जल्दी तय कर लिया जाए, कहीं यह दिन रुपी जीवन तेजी से ढल ना जाए और रास्ते में ही रात ना हो जाए और अपनी मंजिल तक ना पहुँच पाए।  

कवि ने दिन की तुलना जीवन से की है, यानि जीवन एक दिन के समान ही है, इसका सफर दिन ढलने से पहले कर लेना चाहिए और अपने घर रूपी मंजिल तक पहुंच जाना चाहिए। अर्थात हमारे जीवन में जो भी लक्ष्य या उद्देश्य हैं उनको पाने के लिए अपने प्रयास करने चाहिए और सार्थक जीवन रूपी मंजिल को पा लेना चाहिए। इसीलिए कवि को दिन ढलने की चिंता है कि यह जीवन रूपी दिन जल्दी ढल न जाए और मंजिल तक पहुंचने से पहले की रात ना हो जाए।

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