‘दीिानों की हस्त ’कविता भें कवि ने अऩनेआने को उल्रास औय जाने को आॉसूफनकय
फह जाना तमों कहा है?
Answers
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सही प्रश्न:
दीवानों की हस्ती कविता में कवि ने अपने आने को 'उल्लास' और जाने को 'आँसू बनकर बह जाना' क्यों कहा है?
उत्तर:
वाक्यांश 'उल्लास' से कवि का यह ततपर्य है कि वे मस्त दीवानें खुशियाँ बनके आते और अपनी खुशी के साथ ढेर सारा प्यार भी बाँटतें। वे लोगों के साथ हस्ते, प्रेम भरी बातें करतें और एक खुशी का महौल लेके चलते, आज यहाँ तो कल कहीं और। और तो और, वे दुसरों के कष्टों को समझतें और उनके साथ कठिनाइयों का सामना करतें। यह उन 'आसुओं' को दर्शाता है जो दीवानें दुसरों का बोझ बाँटने के लिए रो देते हैं। ऐसी है इन मस्त दीवानों की हस्ती, जो चारों तरफ़ खुशियाँ फैलाते कदम पर कदम रखतें और प्रसन्नता से दुखों को गट लेतें, इस बात से खुश कि कोई थोड़ा मुसकराया।
दीवानों की हस्ती
दीवानों की हस्ती भगवती चरण वर्मा द्वारा लिखी गई एक शिक्षाप्रद कविता है जो हमे जीवन के बारे मे एक महत्वपूर्ण संदेश देती है: जो खुशी कुछ बाँटने से मिलती है, उससे बड़ी खुशी कुछ और है ही नही। कवि यह बतलाते हैं कि हमे दीवानों जैसे खुशियाँ और प्रेम बाँटना चाहिए। जिस तरह दीवाने इस दुनिया मे आज़ाद पंछी हैं, उसी तरह हमे अपने दोस्त-दुश्मन, काला-गोरा, यह धर्म-वह धर्म जैसे बंधनों से मुक्त हो जाना चाहिए। पुरा संसार दीवानों के लिए परिवार समान है, इसलिए हमें दूसरों की मदद अवश्य करनी चाहिए।।