दिन के तम में सपने जगते मन के' का क्या अभिप्राय है? स्पष्ट कीजिए।
(Maanbhavak savan) kavita
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अभिप्राय : जब बादल काले और घने होकर बरसते हैं, तो उस दिन अंधेरा हो जाता है और मनुष्य रुक रुक कर सोचने लगता है जैसे स्वप्न देख रहा हो l
- यह प्रश्न मनभावन सावन नामक कविता से लिया गया है l सुमित्रानंदन पंत इस कविता के लेखक है I
- प्रस्तुत कविता में कवि ने सावन के बरसते बादलों का मनोरम चित्र उकेरा है।
- कवि कहता है कि मानसून के बादल खूब बरसते हैं। बादलों की बूंदें पेड़ों पर गिरती हैं और छन-छन कर छम-छम की ध्वनि के साथ पृथ्वी पर गिरते हैं। बादलों को चीर कर बार-बार बिजली चमकती है। दिन में अंधेरा हो जाता है और आदमी रुक-रुक कर सोचने लगता है, मानो कोई सपना देख रहा हो।
- पंखों से ताड़ के पत्ते दिखाई दे रहे हैं, साथ में लंबी उंगलियां और ताड़, उन पर पानी के छींटे पड़ते हैं। बूँदें हाथ और मुँह से टपकती हैं।
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