दैनिक वेतन पाने वाले किसी मजदूर के साथ संवाद लेखन
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दैनिक वेतन पाने वाले किसी मजदूर के साथ संवाद लेखन
दैनिक वेतन पाने वाले किसी मजदूर के साथ संवाद लेखन निम्न प्रकार से किया गया है।
मै : कहो रामू काका क्या हाल चाल हैं?
रामू काका : हां, बेटा, ठीक ही कट रही है जिंदगी। भगवान कृपा है।
मै : और रामू काका, अब तो काम मिल रहा है ना , लॉक डाउन के बाद।
रामू काका : हां, बिटवा । मिल तो रहा है काम पर जितना कर सकता हूं, करता हूं।
मै : काका आपकी उम्र भी तो बढ़ चली है ना।
रामू काका : बिटवा , उम्र को देखें कि पेट को देखे, पूरे परिवार की जिम्मेदारी है हम पर ।हमारा क्या है रोज कमाओ, रोज खाओ। जिस दिन काम पर नहीं गए, भूखे सोते है।
बेटा अभी छोटा है, पढ़ रहा है। मेरी इच्छा है उसे पढ़ा लिखाकर बड़ा आदमी बनाऊं ताकि उसे मेरी तरह मजदूरी नहीं करनी पड़े।
मै : काका आपकी सोच बहुत अच्छी है, भगवान करे आपकी इच्छा पूरी हो।
रामू काका : हां, बेटा, हमारी तो उम्र ऐसे ही निकल गई चप्पलें घिसते घिसते। वह पढ़ने में भी होशियार है, कक्षा में पहले क्रमांक पर आता है, वह पढ़ना भी चाहता है। कोई संस्था हो तो बताओ जो हम जैसे गरीबों के बच्चो को पढ़ाने में मदद करती हो।
मै : हां काका, है एक संस्था जो होनहार बच्चो को पढ़ाई के लिए पैसों की मदद करती है, मै कल ही बात करता हूं।
रामू काका : बहुत धन्यवाद, बिटवा। भगवान तुम्हारा भला करे। बहुत परेशानी है, मेरी तनख्वाह से मुश्किल से सभी का पेट भरता है।
मै : कोई बात नहीं काका, मुझे आपकी सहायता करके खुशी मिलेगी।
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